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Tuesday 7 January 2020

Tribes of Jharkhand / झारखंड की जनजातियां 3

Tribes of Jharkhand
झारखंड की जनजातियां
Jharkhand ki janjatiyan


झारखंड की जनजातियां भाग 3




4. हो जनजाति


० जनसंख्या की दृष्टि से *हो* झारखंड की चौथी प्रमुख जनजाति है।

० यह जनजाति मुख्य रूप से कोल्हान प्रमंडल में पाई जाती है।

० इनके 80 से भी अधिक गोत्र हैं, जिनमें अंगरिया, बारला, बोदरा, बालमुचू, हेंब्रम, चम्पिया, हेमासुरीन, तामसोय आदि प्रमुख हैं।

० प्रजातीय दृष्टि से हो को *प्रोटो-एस्ट्रोलॉयड* की श्रेणी में रखा गया है।

० सिंगबोंगा इनके प्रमुख देवता है।

० अन्य प्रमुख देवी देवता पाहुई बोंगा(ग्राम देवता), ओटी बोड़ोम(पृथ्वी), मरांग बुरु, नागे, बोंगा आदि हैं।

० इनमें *देसाउली* को वर्षा का देवता माना जाता है।

० हो समाज में धार्मिक अनुष्ठान का काम देउरी (पुरोहित) द्वारा संपन्न कराया जाता है।

० हो गांव का प्रधान *मुंडा* होता है, और उसका सहायक *डाकुआ* कहलाता है।

० *मानकी मुंडा प्रशासन* हो जनजाति की पारंपरिक जातीय शासन प्रणाली है।

० मागे, बाहा, डमुरी, होरो, जोमनामा, कोलोभ, बतौली आदि इनके प्रमुख पर्व हैं। इनके प्रायः सभी पर्व कृषि व कृषि कार्य से जुड़े हैं।

० इनकी भाषा *हो* है, जो मुंडारी (ऑस्ट्रिक) परिवार की है।

० हो लोगों ने कुछ पहले अपनी एक लिपि *बारङ चित्ति* बनाई है।

० हो लोग अखड़ा को *स्टे तुरतुङ* कहते हैं।

० हो परिवार पितृसत्तात्मक एवं पितृवंशीय होता है।

० हो जनजाति में मुख्य रूप से पांच प्रकार के विवाह प्रचलित हैं-- आंदि बापला, दीकू आंदि, राजी खुशी, ओपोरतिपि एवं अनादर।

० सेवा विवाह एवं गोलट विवाह के भी इक्के दुक्के उदाहरण इन में मिलते हैं। सर्वाधिक प्रचलित विवाह *आंदि विवाह* है।

० हो जनजाति में समान गोत्र में विवाह पूर्णतया वर्जित है।

० इनमें घर जमाई का प्रचलन नहीं है।

० इस जनजाति में बहुविवाह का भी प्रचलन है।

० इनमें शव को जलाने और गाड़ने दोनों प्रकार की प्रथाएं हैं।

० मद्य पान इनका प्रिय शौक है।

० कृषि इनका मुख्य पेशा है।

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5. खरवार


० यह वीर  एवं लड़ाकू जनजाति है। या अपने सम्मान के लिए सर्वस्व न्यौछावर कर देने वाला तथा सत्य बोलने के गुणों के कारण पहचानी जाती है।

० अधिकांश विद्वान इन्हें *द्रविड़* प्रजाति के मानते हैं।

० संडर ने खरवार की इच्छा उपजातियां बताई हैं-- सूर्यवंशी, दौलतबंदी, घटबंदी, खेरी, भगती या गंझू तथा मंझिया।

० इनका मुख्य देवता सिंगबोंगा है।

० इनके मुख्य पर्व सरहुल, सोहराय जितिया, दुर्गा पूजा, दीपावली, रामनवमी, फागू आदि हैं।

० इनकी भाषा खेरवाड़ी है, जो ऑस्ट्रिक भाषा परिवार की है।

० खरवार की प्राथमिक एवं सबसे छोटी सामाजिक इकाई परिवार है। इनका परिवार पितृसत्तात्मक एवं पितृ वंशीय होता है।

० खरवार जनजाति में परंपरागत जाति पंचायत पायी जाती है। गांव का सबसे वरिष्ठ एवं योग्य व्यक्ति इसका मुखिया होता है।

० इनके पंचायत को बैठकी एवं पुरोहित को बेगा कहा जाता है।

० खरवार समाज में 4 गांव की पंचायत को *चट्टी*, 5 गांव की पंचायत को *पचौरा* तथा 7 गांव की पंचायत को *सतौरा* कहा जाता है।


० खरवार लोग साधारणतया घुटने तक धोती बंडी और सिर पर पगड़ी पहनते हैं। स्त्रियां साड़ी पहनती हैं।

० ऐसा माना जाता है कि रामगढ़ राजपरिवार मूलतः खरवार ही थे।

० इनका मुख्य पेशा कृषि है।


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6. खड़िया


० प्रजातीय दृष्टि से खड़िया को *प्रोटो- ऑस्ट्रोलॉयड* ग्रुप में रखा गया है।

० इनका मुख्य निवास स्थान गुमला सिमडेगा रांची लातेहार सिंहभूम और हजारीबाग जिला है।

० यह जनजाति मुख्य रूप से तीन शाखाओं में विभाजित है--पहाड़ी खड़िया, दूध खड़िया, तथा ढेलकी खड़िया। औ इनमें पहाड़ी खड़िया सबसे अधिक पिछड़ा और दूध खड़िया सबसे संपन्न है।

० इनकी भाषा खड़िया मुंडारी भाषा की एक शाखा है जो ऑस्ट्रिक-एशियाई परिवार की भाषा है।

० इनका सबसे बड़ा देवता बेड़ो (सूर्य) है।

० इनके अन्य प्रमुख देवी देवता पाटदूबा(पहाड़ देवता) बोराम (वनदेवता) गुमी (सरना देवी) आदि है।

० इस जनजाति के लोग अपनी भाषा में भगवान को *गिरिंग बेरी* या *धर्म राजा* कहते हैं।

० इनका धार्मिक प्रधान कोला कहलाता है।

० इनके प्रमुख पर्व बा बीड, कादो लेटा, बंगारी, नयोदेम आदि है।

० खड़िया गांव का मुखिया *प्रधान* कहलाता है।

० अपने ग्रामीण पंचायत को यह लोग *धीरा* कहते हैं और इनके सभापति को *दंदिया* कहा जाता है।

० खरिया परिवार पितृसत्तात्मक, पितृवंशीय एवं पितृ आवासीय होता है।

० खड़िया समाज में धर्म तथा जादूगरी का काफी प्रभाव होता है।

० खड़िया में अनेक तरह के विवाह प्रचलित हैं। सर्वाधिक लोकप्रिय विवाह  *ओलोल-दाय* है, जिसे असल विवाह भी कहते हैं।

० उधरा उधरी(सह पलायन), ढुकु चोलकी(अनाहूत) तापा (अपहरण), राजी खुशी (प्रेम विवाह) आदि इनके अन्य प्रमुख विवाह है।

० खड़िया जनजाति का मुख्य भोजन चावल है.

० इस जनजाति के लोग अच्छे खेतिहर और अच्छे शिकारी होते हैं।


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7. भूमिज


० झारखंड की एक ऐसी जनजाति है जिसे जनजाति का हिंदू संस्करण कहा जाता है।

० प्रजातियां दृष्टि से भूमिज को प्रोटो ऑस्ट्रोलॉयर्ड वर्ग में रखा गया है।

० या जनजाति मुख्य रूप से पूर्वी सिंहभूम पश्चिमी सिंहभूम सरायकेला खरसावां रांची तथा धनबाद जिले में पाई जाती है।

० इन्हें धनबाद में सरदार के नाम से पुकारा जाता है।

० इनकी भाषा *मुंडारी* है जिस पर सदानी और बांग्ला भाषा का प्रभाव स्पष्ट झलकता है।

० इनके सर्वोच्च देवता ग्राम ठाकुर और गोराई ठाकुर हैं।

० भूमिजो में पुरोहित को लाया कहा जाता है।

० इनकी अपनी जातीय पंचायत होती है जिसका मुखिया *प्रधान* कहलाता है।

० भूमिज परिवार पितृसत्तात्मक एवं पितृ वंशीय होता है।

० इसमें समगोत्रीय विवाह पूर्णतया वर्जित है।

० भूमि जो में विवाह का सर्वाधिक प्रचलित रूप आयोजित विवाह (वधू मूल्य देकर) है। अपहरण विवाह गोलट विवाह, सेवा विवाह, राजी खुशी विवाह आदि इनमें विवाह के अन्य प्रचलित रूप हैं।


० इनमें तलाक की प्रथा भी पाई जाती है। जिसका ढंग बिल्कुल सरल है। सार्वजनिक रूप से पति पत्ते को पार कर टुकड़े कर देता है और तलाक हो जाता है।

० भूमिज लोग अच्छे गृहस्थ और काश्तकार होते हैं।

० घने जंगलों में रहने के कारण मुगल काल में इनको *चुहाड़* उपनाम से जाना जाता था।



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